कुत्ते के काटने की वजह
गली में खेलते बच्चों पर कुछ आवारा कुत्तों ने हमला कर दिया !
जिसमें एक की जान चली जाती है और एक बुरी तरह से घायल हो जाता है अब इसमें हमें यह समझना हैं कि यह होता कैसे है, बगैर किसी एक पक्ष को जिम्मेदार ठहराते हुए।
हम सब एक ऐसे समाज में रहते हैं जिसमें इंसान अपने आप को सबसे ऊपर मानता है श्रेष्ठ मानता है उसकी खुद की पसंद नापसंद उसकी सोच को । इंसान चाहता है कि हर चीज उसकी खुद की मर्जी के हिसाब से उसकी सोच के हिसाब से हो।
हमारे मन में डॉग बाइट को लेकर या फिर हमारे स्ट्रे डॉग्स को लेकर डर क्यों बैठा हुआ है? यह मन का एक वहम है
क्या आपने कभी इस बात पर ग़ौर किया है?
उकसाना और प्रेम की कमी
जब बड़ा होकर आदमी कहता है- 'इंसान से वफ़ादार तो जानवर होता है।'
वहीं बच्चों को सीख देते हुए आदमी पूरी तसल्ली के साथ कहता है- 'झूठ बोलोगे, कौआ काटेगा/ कुुत्ता काटेगा!'
क्या यह निष्कर्ष और सीख विरोधाभासी नहीं है? जी, बिल्कुल है।
डर नफ़रत सिखाता है, आक्रामकता सिखाता है जबकि वफादारी में प्रेम शामिल है।
कमाल की बात है, असल वफादारी का नज़ीर कुत्ता है। और हम बच्चों में कुत्तों या पिल्लों से भय भरते हैं।
यही बच्चे जब नफ़रत और निर्दयता से इन पर ईंट, पत्थर चलाते बड़े होते हैं तो स्वभाव की विविधता के क्रम में वह प्रेम और सतर्कता की सीख से ही वंचित हो जाते हैं।
मेडिकल कंडीशन ठीक न होना
कई बार बच्चा या इंसान कुछ भी नहीं करता है फिर भी उसके ऊपर हमला हो जाता है क्योंकि बहुत से कुत्तों की मेडिकल कंडीशन ठीक नहीं होती है उन्हें कोई ना कोई परेशानी होती है। उस परेशान स्थिति में अपने आप को प्रोटेक्ट करने के लिए, कई बार बगल में गुजरते हुए इंसान को काट लेते हैं। ऐसे में हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि हम भी अपने बच्चों का ध्यान रखें अगर छोटे बच्चे बाहर खेल रहे हैं तो कोई ना कोई उनका ख्याल रखें जिससे इन घटनाओं को होने से रोका जाए
सही मेडिकल ट्रीटमेंट का न होना
आवारा कुत्तों का मेडिकल ट्रीटमेंट उतने सही तरह से नहीं होता जितना होना चाहिए, उनको अगर कोई बीमारी तकलीफ है तो नगर निगम के द्वारा कोई सही कार्यवाही नही होती। जिस वजह से इस तरह की परेशानियां बढ़ती हैं और बनी रहती है और आखिर में इंसानों पर ही बितती हैं।
इसलिए अगर आवारा कुत्तों पर नगर निगम अच्छी तरह से निगरानी रखें तो शायद इन घटनाओं को हम होने से रोक सकते है।
कई बार पालतू कुत्तों को भी देखा गया है कि वह अपने मालिक को काट लेते हैं तो उसकी भी कोई ना कोई वजह होती हैं।वजह को समझिए, समाधान पर काम करिए, किसी प्रजाति को ही दोष देना और खतम कर देना ठीक नही।
सामंजस्य स्थापित करना और करवाना बहुत जरूरी
इंसान और पशु के बीच सामंजस्य स्थापित करना और करवाना बहुत जरूरी है, इंसानों के इतर जानवरों में वफ़ादारी की तलाश का निष्कर्ष भी इसी सतर्कता और प्रेम की सीख के अभाव का नतीजा है।
कुदरत अपनी हर बनाई चीज में स्वाभावत: एक सतर्क प्रेम ही चाहता है। जिससे कि वह अपनी सर्जना में एक लय एक संगति बिठा सके।
यह कुदरती लय ही वफ़ादारी है, प्रेम है। हमें कुदरत की बनाई हर चीज से उसके स्वभाव और गुण के हिसाब से प्रेम करना सीखना ही होगा।
जो न सिर्फ जानवरों, इंसानों बल्कि खुद के प्रति वफ़ादारी/प्रेम की पहली शर्त है।
इस सृष्टि को सही रूप से चलाने के लिए इंसान और पशु के बीच सामंजस्य स्थापित करना बहुत जरूरी है क्योंकि, यह धरती सभी की है किसी एक की नहीं।
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